Garibi shayari अब मैं हर मौसम में खुद को ढाल लेता हूँ

 

अब मैं हर मौसम में खुद को ढाल लेता हूँ,
छोटू हूँ… पर अब मैं बड़ो का पेट पाल लेता हूँ.

 

 

Ab me har mousam me khud ko dhal leta hu,

chotu hu..par ab me bado ka pet paal leta hu..

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