चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली,
कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली,
उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे शायद,
हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली..
Chand ka kya kasoor agar rat bewafa nikli,
kuch pal thehari aur fir chal nikli,
un se kya kahe vo to sacche the shayad,
hamari takdeer hi hamse khafa nikli..