Nafrat Shayari …

Nafrat shayari तुझसे खफा भी रहते थे..

 

तुझसे खफा भी रहते थे,

और वफा भी करते थे,

पहले तुझे खोना नहीं चाहते थे,

अब तुझे पाना नहीं चाहते है..

 

 

Tujhse khafa bhi rehte the,

or vafa bhi karte he,

pahle tujhe khona nahi chahte the,

ab tujhe pana nahi chahte he..

 

 

Nafrat shayari वह मोहब्बत भी उसकी थी, वह नफरत भी उसकी थी

 

वह मोहब्बत भी उसकी थी, वह नफरत भी उसकी थी..

वह अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी..

हम अपनी वफा का इंसाफ किससे मांगते

वह शहर भी उसका था वह अदालत भी उसकी थी..

 

 

Vah mohabbat bhi uski thi vah nafrat bhi uski thi,

vah apnane or thukrane ki ada bhi uski thi,

ham apni wafa ka insaf kisse mangte?

vah shahar bhi uska tha vah adalat bhi uski thi..

 

Bewafa shayari हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला

 

हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला,
हमको जो भी मिला बेवफा यार मिला,
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी,
हर कोई मकसद का तलबगार मिला

 

 

Hame na mohabbat mili na pyar mila,

hamko jo bhi mila bewafa yar mila,

apni to ban gayi tamasha jindagi,

har koi maksad ka talabgar mila..