वो खुद ही तय करते हैं मंज़िल आसमानों की, परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की, रखते हैं जो हौंसला आसमान छूने का, उनको होती नहीं परवाह गिर जाने की।
Wo khud hi tay karta he manjil aasmano ki, Parindo ko nahi di jati taleem udano ki,
Rakhte hain jo haunsla aasman chhune ka,
Unko hoti nahi parwah gir jane ki.
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिन के सपनो में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता दोस्त, हौसलों से उड़ान होती है।